Saturday 5 January 2013

आइए कुछ पल सोचें-2

बलात्कार ..क्रमागत 

दामिनी के साथ बस में बलात्कार की यह घटी घटना कोई नई नहीं है पर ऐसी घटनाओं के रोकने के सरकार के लगातार आश्वासनों के बाद घटी यह घटना है और क्रूरतम है. इस घटना के आरोपितों को क्या सजा मिले इसपर बहस मेरी दृष्टि में बहुत मूल्य नहीं रखती. न्यायालय उन्हें कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा देगा ही. हाँ इनके विरुद्ध मुकद्दमा चलाकर इन्हें जल्दी से जल्दी सजा दिलवाई जाए इसके लिए सरकार को बाध्य करने के लिए जन दबाव बढ़ाया जा सकता है. हमारे लिए अधिक उचित यह जान पड़ता है कि बलात्कार के कारण क्या हैं इसे जानने की चेष्टा की जाए और एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास किया जाए कि ऐसी घटनाएँ फिर न घटें. और कारकों को जानकर उन संगठनों को जगाने और उत्प्रेरित करने का प्रयास किया जाए जो ऐसा वातावरण बनाने में सहयोग कर सकें.

हममें से कुछ इसके कारक के रूप में लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले अत्याधुनिक कपड़ों को प्रस्तुत करते हैं.  यह कारक हो सकता है पर यदि इसी को पूरी तरह कारक मान लिया जाए तो गाँवों में होने वाले बलात्कारों का क्या कारण हो सकता है. भारत को गाँवों का प्रतीक मानकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का यह कहना कि भारत में ये घटनाएँ नहीं घटती है सच नहीं है. गोरखपुर के अखबारों में आए दिन आस पास के गाँवों में होने वाले बलात्कारों के समाचार छपते रहते हैं. कहीं कोई लड़की निकसार को जा रही थी तो किसी न पकड़ लिया. कोई खेत में अकेले थी तो उसके साथ जबरदस्ती की गई. कहीं रंजिस इस घटना का कारण बन गई. अत्याधुनिक पहनावा तो यहाँ कहीं भी कारण बनता नहीं दिखता. संघ प्रमुख के अनुसार शहरों के प्रतीक इंडिया में ही ये घटनाएँ अधिक घटती हैं. वहाँ उनके तंग कपड़े और उनका स्वतंत्र विचरण इसका कारण बनते हैं.

अब यह सोचने जैसा है. एक तरफ स्त्रियों को अंधविश्वासों से दूर हटाने, पर्यावरणीय प्रदूषणों से सतर्क रहने और बहुत सारी सामाजिक सावधानियों के प्रति जागरुक करने के लिए उनको शिक्षित करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. उन्हें पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. और दूसरी तरफ उन्हें उनके अत्याधुनिक पहनावे पर कटाक्ष कर पुरुषों से दूर रहने का संकेत किया जाता है. अगर ऐसा हो गया होता तो भारत अर्थात इंडिया ने प्रगति की जो छलाँगें लगाई हैं वह संभव नहीं हुई होती. अब स्त्री मेडिकल स्टुडेंट दुपट्टा ओढ़ कर मेडिकल की पढ़ाई करे तो वह सर्जन कैसे हो सकेगी. गौर किया जाए तो यही दिखता है कि पुरुष सहपाठियों द्वरा बलात्कार की घटनाएँ विरल ही मिलेंगी. दामिनी के साथ घटी घटना के आरोपित कोई सब्जीवाला है तो कोई ड्राइबर है या ऐसा ही कोई साधारण पेशा वाला. 

बलात्कार की घटना के घटने का एक कारण सुरक्षा के प्रति पुलिस और प्रशासन की उदासीनता को बताया जाता है. इस घटना के घटित होने के लिए बताए जाने वाले इस कारण में काफी बल है. जो प्रणाली जन-सुरक्षा के लिए खड़ी की गई है वह बहुत हद तक ऐसी घटनाओं के घटित होने देने में जिम्मेदार है. अभी अभी दामिनी के साथी ने जो जी टी वी के इंटरविऊ में बताया है वह इस बात का प्रमाण है. दामिनी सड़क पर पीड़ा से छटपटाती रही पर वहाँ मौके पर पहुँचे पुलिस वाले 20 से 25 मिनट तक यह तय करने में लगा दिए कि वह क्षेत्र किस थाने के अंतर्गत आता है. ऐसे अवसरों के लिए पुलिस सिस्टम में कोई निदान नहीं है. ऐसे अवसर आने पर, अखबारों में अक्सर पढ़ने को मिलता है कि क्षेत्र किस थाने में आता है इसका निर्णय न होने तक प्राथमिकी (एफ आई आर) तक नहीं लिखी जाती..क्रमशः

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