Sunday 6 November 2011

anna ka andolan

अन्ना हजारे द्वारा छेड़ा गया आन्दोलन जनता की इच्छाओं का प्रतिबिम्ब है . जयप्रकाश नारायण ने भी १९७४ में सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था और वह एक व्यापक आन्दोलन था किन्तु जिन लोगों को  उनहोंने  साथ लिया था वे मसे संजो नहीं सके . अन्ना के आन्दोलन में भी यह खतरा मंडरा रहा है.
 क्योंकि उनकी टीम में जो लोग अग्रगन्य हैं वे भले ही विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा कम कर चुके हैं आम जन के लिए  पूरी तरह भरोसे में लिए गए लोग नहीं हैं. इन लोगों में केजरीवाल निखर कर सामने आ रहे हैं. इनका तरीका अहिंसक है जो स्वागत योग्य है. अभी ता इसका स्वरुप जनांदोलन का ही लग रहा है. यदाकदा इसके राज्नीतिक हो जाने का डर पैदा हो जाता है. ऐसी स्थिति में हमें अन्ना पर भोरासा  करके चलना होगा. आम जन को  ईस बात की निगरानी  करनी पड़ेगी कि यह अब्दोलन अपनी दिशा  से   दिग्भ्रष्ट न हो .