Thursday 16 February 2012

वर्तमान राजनीतिक परोदृश्य

उत्तर प्रदेश विधान सभा के  लिए हो  हो रहे  प्रचार अभियान में राजनितिक दलों के धुआंधार प्रचार से वर्तमान भारतीय राजनीति  का जो परिदृश्य सामने आ रहा है वह अद्भुत है.सामने सामनेी घटनाओं को कितनी सहजता से राजनीतिक दल अपने अपने पक्ष में अनूठी व्याख्या  दे दे रहे हैं  यह कबिल्रे  तारीफ  है. भ्रष्टाचार के एक आरोपित  को यह तर्क देकर कि  गंगा में गंदे नदी नाले भी आकर पवित्र हो जाते हैं.जबकि यही दल अपने से बड़े दल के आरोपितों को फंसी पर चढाने  से कम पर तैयार नहीं है. एक केंद्रीय मंत्री  चुनाव आयोग  को खुल्लमखुल्ला  धमकी देता है और और बचाव में अपने चुनाव घोषणापत्र की आड़ लेता है.यह देखें कि इस  मंत्री महोदय ने तो प्रधान मंत्री के दबाव में ही सही अपने कहे पर खेद व्यक्त कर दिया पर उसी दल के दूसरे मंत्री ने संवैधानिक पदों का सम्मान करने कि हिदायत की अवहेलना कर अभी कल ही चुनाव आयोग को ठेंगा दिखा दिया. ये है बेनी प्रसाद वर्मा जी. अभी पिछले दिन राजीव गांधी ने मंच पर सपा के एक पर्चे को fad दिया.सब कुछ  सामने है पर कोई उस पर्चे को सपा का घोशनापत्र  कह कर उसे फाड़ने  को अभद्रता  बता रहा है तो कोई उस पर्चे को एक साधारण परचा  बता रहा है.और सबसे अजीबोगरीब हरकत तो मिडिया की है. मिडिया उस पर्चे का नोटिस लेना जरूरी नहीं समझता  .सही कहूं तो जिस तरह का वातावरण इंदिरा  गांधी के समय में उत्पन्न  कर दी गई  थी वैसी ही स्थिति इस समय भी दिखाई दे रही है.
इंदिरा गांधी सत्ता सत्ताबने रहने के लिए सही सही कुछ भी करने के लिए तैयार रहती थी. उनहोंने राजनीति से  प्रतिभाशाली और नैतिक लोगों को दूर कर दिया. आज भी कांग्रेस को चाहे जैसे भी हो सत्ता चाहिए ही. सत्ता तो अन्य दलों को भी चाहिए किन्तु  सत्ता में ऊँचे पदों पर रहते हुए भी सत्तार्ध दल के लोगों ने जिस नैतिकताविहीन आचरण को बरता  है और बारात  रहे  हैं  उसने देश के वातावरण को बहुत कलुषित कर दिया है.राहुल गाँधी को इन्ही सब बातों  का खामियाजा भुगत रहें  हैं. और राहुल में राजनितिक पटुता भी नहीं है.शुरू  शुरू  में वह कुछ संयत  भी लग  रहे थे पर अब तो लग रहा है की राजनीति जैसेउनकी चेरी  है. राजनीति में कुछ भी कहा और किया जा सकता है.

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