Sunday 12 February 2012

चुनाव आयोग ने सलमान खुर्शीद के जिस वक्तव्य को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना था उसे यह कहते हुए फिर से दुहरा दिया कि मुझे फांसी ही क्यों न दे दो मैं  तो उसे कहूँगा ही. यह आयोग को नागवार लगा. उसने इसकी शिकायत राष्ट्रपति से कर दी है. राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को इस शिकायत को भेज कर उचित कार्यवाही के लिए भेज दिया है. दिग्विजय सिंह के अनुसार चुनाव घोषणा पत्र प्रकाशित कार्यक्रम की बातें करना गलत नहीं है. मेरे देखने में खुर्शीद  ने जो भी कहा  है चुनाव के दौरान वह आचासंहिता का उल्लंघन है या नहीं वर्तमान सन्दर्भ में विचारणीय नहीं है. विचारणीय यह है कि उनका वक्तव्य चुनाव आयोग को आचारसंहिता का उल्लंघन लगा  तो आयोग की चेतावनी के बाद भी उसी बात को धमकी भरी चुनौती देते हुए मंच से कहना घोर आपत्तिजनक है. उनकी यह 'चुनौती' तो खुल्लम खुल्ला आचारसंहिता का उल्लंघन है.उनपर कोई न कोई कार्यवाही तो होनी  ही चाहिए. लेकिन प्रधानमंत्री कोई कार्यवाही करेंगें इसमें संदेह है. क्योंकि प्रधानमंत्री अपने विवेक से कोई कार्यवाही नहीं कर सकते. उनको उन्हीं परामर्शदाताओं की राय पर काम करना पड़ता है जो उन्हें घेरे हुए है और जिन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि इससे कांग्रेस की सेहत बिगड़ती है या बनती  है. उन्हें एक एकी बात की फिक्र रहती है कि आलाकमान उनसे उनसे खुश रहे. 

1 comment:

  1. Aapke blog me Aap sandhrbhit vishya me kuch bhi
    shesh nahi chhodte *achcha likhate hai*yatha nam
    tatha gunh

    ReplyDelete