Monday 26 December 2011

नाना जी के साथ अन्ना का फोटो

अन्ना के आन्दोलन ने राजनीति के वर्तमान स्तर को उघाड़ कर रख दिया है. सिंडिकेट की कोख से जन्मी इंदिरा-कांग्रेस ने बाड़ लगाकर जिन्हें एकता का पाठ पढ़ाया था आज वे उच्छ्रिन्खल हो गए हैं. होना ही था. क्योंकि इंदिरा गाँधी ने स्वतंत्रता और और स्वाभिमानी  लोगों को राजनीति से दूर रखने की परंपरा डाल दी थी. आज यह परंपरा अपने चरम पर है. अन्य दल अन्ना की आलोचना में कुछ मर्यादा का भी ख्याल रखते हैं लेकिन कांग्रेसियों के लिए मर्यादा कोई  मायने नहीं रखती. बेनीप्रसाद वर्मा द्वारा अन्ना की आलोचना कुछ इसी प्रकार की है. अरविन्द केजरीवाल का त्वरित जवाब भी उस कछुए के जवाब की तरह है जिसे बगुले उड़ा ले जा रहे थे.चरवाहों के जवाब में कछुए ने जब मुंह खोला तो उसका क्या हश्र हुआ कहने की आवश्यकता नहीं. हाँ किरण बेदी ने जो फोटो ट्विट किया है वह समयोचित  है. देखना है कि नाना जी के साथ अपना फोटो देख कर दिग्विजय सिंह क्या प्रतिक्रिया देते हैं.
नाना जी के साथ अन्ना का फोटो होना इस बात का सबूत नहीं है कि वह आर एस एस से सम्बंधित होंगे
ही. अब  तो यह भी साफहो गया है कि सन अस्सी के बाद नाना जी सामाजिक  kaaryakarta हो गए थे. नाना
जी के साथ उनका  फोटो में होना सामाजिक कार्यकर्ता का का भी सबूत हो सकता है.  

        

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