अन्ना का आन्दोलन थमता सा लग रहा है. उनकी टीम में अगली पंक्ति के लोगों का व्यक्तित्व उतना प्रभावशाली नहीं है.उनकी विश्वसनीयता पर भी उंगलियाँ उठाई जा चुकी हैं. ख़ुशी की बात है कि टिप्पड़ियों की उत्तेजना से ये बच निकले हैं. मेरे मन के किसी कोने में यह विश्वास अभी बना हुआ है की टीम अन्ना इस आन्दोलन को विखरने नहीं देगी . थोडा समय अधिक भले ही लग जाये.
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