ब्लॉग की दुनिया विविधता भरी है. इसके लिखने वाले बेधड़क, खुले विचार के और स्वच्छंद प्रकृति के हैं. ब्लोगरों पर उनके अन्य गुणों के अतिरिक्त उनकी स्वच्छंदता अधिक हाबी है. कभी यह प्रवृत्ति नयी कविता लिखने वालों पर बहुत हाबी थी. जिसका परिणाम था नई कविता में भदेसपन का एक प्रवृत्ति के रूप में उभरना. लेकिन नई कविता के सौंदर्य में इससे कोई निखार नहीं आया. ब्लॉगरों की स्वच्छंदता ने उनकी प्रवृत्ति में चुटकी लेने और आलोचना करने का भाव ही अधिक भरा है
कतिपय ब्लॉगर ब्लोगों में रचनात्मकता की भी उम्मीद जगाते हैं. लेकिन ब्लॉग का कोई निश्चित स्वरुप और शिल्प अभी ठीक ठीक उभर कर नहीं आ पा रहा है. कई एक ब्लोगर साहित्य की विभिन्न विधाओं को ही ब्लॉग पर चस्पा कर अपनी प्रत्भा निखारने में लगे हुए हैं. कई एक इसको अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति का मंच बनाए हुए हैं. ब्लॉग का एक सुन्दर रूप अमिताभ बच्चन के ब्लॉग में दिखाई देता है.मैं यहाँ हिंदी और अंग्रेजी के ब्लॉग को अलग कर के नहीं देख रहा हूँ.
वास्तव में ब्लॉग को मैं एक विधा के रूप में देख रहा हूँ. 'ब्लॉग' से मेरे मन में अभिव्यक्ति के एक ऐसे रूप का चित्र उभरता है जिसमें व्यक्तिगत अनुभूति तो हो ही , साहित्य की अन्य विधाओं का आस्वाद भी हो.लेकिन यह सब एक विशिष्ट कलेवर में हो जो ' ब्लॉग ' का अपना हो और रोचक भी हो. ब्लॉग का ऐसा कोई स्वतंत्र स्वरुप अभी उभर कर आ नहीं सका है.
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